वायु सेना संग्रहालय

यह शानदार संग्रहालय पालम के वायु सेना स्टेशन में स्थित है, यहां शस्त्रागार और हवाई जहाजों की एक सुंदर और सक्रिय संग्रह है, जो भारतीय वायु सेना के गौरवशाली इतिहास को दर्शाती है। यह संग्रहालय भारत की वायु सेना की महान उपलब्धियों को दर्शाता है, और देश की शांति में इसकी अहम भूमिका पर भी प्रकाश डालता है।

वायु सेना संग्रहालय

लाल किला पुरातत्व संग्रहालय

लाल किला, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, और इसका यह संग्रहालय मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को समर्पित है। इसमें मुगल काल की अनेक संग्रह हैं जिसमें पेंटिंग, सुलेखन (कैलिग्राफी), कलाकृतियां, वेशभूषा और वस्त्र आदि वस्तुएं हैं। इस संग्रहालय का प्रमुख आकर्षण सन् 1857 की स्वतंत्रता के युद्ध के हथियार और एक नक्शा है। अन्य दर्शनीय चीजें हैं, राजा का चांदी का हुक्का, मोतियों से जड़े रेशमी कपड़े, 19 वीं शताब्दी के वस्त्र और 13 वीं शताब्दी की सुंदर नीली टाइलें, आदि। यह लाल किला पुरातत्व संग्रहालय, लाल किले के मुमताज महल के अंदर स्थित है।

लाल किला पुरातत्व संग्रहालय

राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र संग्रहालय

इस प्रभावशाली विज्ञान केंद्र का उद्देश्य विज्ञान की उपलब्धियों के बारे में आगंतुकों को शिक्षित करना है, दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र संग्रहालय में जरूर जाएं। इस संग्रहालय में विज्ञान की क्रियाशील प्रदर्शनी अद्भुत आकर्षक हैं। पर्यटक यहां विभिन्न हिस्से में दिलचस्प प्रदर्शन देख सकते हैं जो सभी उम्र के पर्यटकों के लिए है। यहां अपने हाथ से चलाने वाले यंत्र लगें हैं जो भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप से दिखाते हैं। राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र संग्रहालय सन् 1992 में स्थापित किया गया था और यह राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद का एक भाग है, जो संस्कृति मंत्रालय के तहत आता है।

राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र संग्रहालय

राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय

भारत का यह दिलचस्प संग्रहालय केंद्रीय पुलिस बल, राज्य पुलिस बल और विदेशी देशों के पुलिस बल से संग्रहित प्रदर्शनो को प्रदर्शित करता है। यहां प्रदर्शित की जाने वाली लोकप्रिय वस्तुएं, हथियार, जाली दस्तावेज़, छवियां, नकली उपकरण आदि हैं। इस संग्रहालय में पुलिस की क्षमताओं को भी दर्शाया जाता है कि कैसे वो अपराध को सुलझाती हैं और अपराधियों को गिरफ्तार करती हैं। यहां आप दुनिया भर के फॉरेंसिक साइंस प्रयोगशालाओं, केन्द्र और राज्यों के फिंगर प्रिंट ब्यूरो और पुलिस बल द्वारा उपयोग की जाने वाली आधुनिक और पुरानी तकनीकों के भी प्रदर्शनों को देख सकते हैं। इस संग्रहालय की स्थापना सन् 1991 में की गई थी।

राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय

नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की याद में बनाया गया यह संग्रहालय नेहरू जी पुराने कार्यालय को प्रदर्शित करता है, जिसे फिर से उसी शिल्पकृतियों और फर्नीचर से बनाया गया है। यहां के पुस्तकालय में काफी पुस्तके हैं, जो आधुनिक भारत के इतिहास को बताते है। यहां का नेहरू तारामंडल एक अन्य आकर्षण केन्द्र है जिससे पूरे क्षेत्र के पर्यटक इसकी ओर आकर्षित होते हैं। इस तारामंडल के आकाश थियेटर में आप कई दिलचस्प शो और प्रस्तुतियों को देख सकते हैं।

नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय

लोधी कला मंडल

यदि आपको सड़क किनारे खड़े एक बांसुरी बेचने वाला, किताबों के ढेर के पीछे बैठे और अखबार पढ़ते हुए सरदारजी, एक आलसी गाय आसमान को देखती हुई, एक दुकानदार अपने ग्राहकों को मिठाइयां बेचता हुआ और कई अन्य चीज़े दिखें तो आप जान जायें कि आप लोधी आर्ट डिस्ट्रिक्ट में है, जो लोधी कॉलोनी में है। इस अनजान पड़ोस में एक आश्चर्यजनक परिवर्तन देखा गया, और यह आर्ट डिस्ट्रिक्ट एक जीवंत कैनवास है जो आस-पास की जीवित कहानियां को दीवारों पर उतार देता है। इस क्षेत्र को भारत के पहले सार्वजनिक कला मंडल (आर्ट डिस्ट्रिक्ट) में परिवर्तित करने के लिए है, यहां के सड़क के किनारों की दीवारें भारत और दुनिया भर के कलाकारों के लिये कैनवास बन गईं हैं, जिस पर उन्होंने अनेक चित्रकारियां की हैं।

लोधी कला मंडल

नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट

नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट देश के प्रमुख संस्थानों में से एक है, यहां भारत के कुछ सबसे प्राचीन चित्र और कलाकृतियां देखने को मिलती हैं। इस गैलरी में लगभग 14,000 कृतियां हैं, जिनमें से कुछ सन् 1850 के दशक की है। यहां जिन महान चित्रकारों की कृतियां प्रदर्शित कि गई हैं उनमें रवींद्रनाथ टैगोर, राजा रवि वर्मा, थॉमस डेनियल, गगनेंद्रनाथ टैगोर, अबनिंद्रनाथ टैगोर, नंदलाल बोस के साथ कई विदेशी कलाकारों और मूर्तिकारों की कृतियां भी शामिल हैं।
इस गैलरी का क्षेत्र, जयपुर के महाराजा का पूर्व आवासीय महल था। सन् 1936 में इस तितली के आकार वाले भवन का निर्माण हुआ था, जिसे सर आर्थर ब्लूमफील्ड द्वारा डिजाइन किया गया था। इस गैलरी का पहला निरीक्षक हरमन गोएट्ज़ थे, जो जर्मन कला के प्रतिष्ठित इतिहासकार थे। कुछ समय बाद इसमें कला पुनर्वीकरण सेवा (आर्ट रेस्टोरेशन सर्विसेज) और कला संदर्भ पुस्तकालय (आर्ट रेफरेंस लाइब्रेरी) जैसी नई सुविधाएं जोड़ी गई। सन् 2009 में पुरानी गैलरी से छ: गुना बड़ी एक नई संरचना जोड़ी गई, और इसके साथ एक नये ऑडिटोरियम, एक पूर्वावलोकन (प्रिव्यू) थियेटर और प्राकृतिक संरक्षण प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया गया।

नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट

शंकर अंतराष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय भारत की रेल विरासत का साक्षी है। राष्ट्रीय रेल संग्रहालय की शानदार प्रदर्शनी कमरे के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर है। इस संग्रहालय के अंदर एक टॉय ट्रेन है, जो आगंतुकों को विस्तार से संग्रहालय देखने का अवसर देता है। इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण रेलवे के 100 साल पुराने कार्यशील और स्थिर मॉडल, पुरातन फर्नीचर, ऐतिहासिक फोटोग्राफ और सिग्नल के उपकरण हैं।

शंकर अंतराष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय

राष्ट्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा संग्रहालय

इस संग्रहालय में लगभग 35,000 विशिष्ट और दुर्लभ कलाकृतियां हैं, जो भारतीय शिल्पकारों की परंपराओं को शिल्प को वस्त्र, कढ़ाई, चित्रों और काष्ठकला, पत्थर और मिट्टी के बने कृतियों से दर्शाते हैं। इस संग्रहालय में कई दीर्घाएं हैं जैसे आदिवासी और ग्रामीण शिल्प दीर्घा, लोकप्रिय संस्कृति दीर्घा, वस्त्र दीर्घा, और दरबारी शिल्प दीर्घा। यहां का खास आकर्षण है गांव परिसर, जो 5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां ग्रामीण जीवन का प्रदर्शित करने वाली लगभग 15 संरचनाएं हैं जिनमें भारत के भिन्न भिन्न भाग के पुण्य स्थलें और आंगन शामिल है। यहां पर्यटक लोक कला या नृत्य प्रदर्शन को भी देख सकते हैं। इस संग्रहालय की अन्य रोचक विशेषता है, कर्नाटक का 300 साल पुराना भूटा संग्रह, अनोखी कढ़ाई वाले चंबा के रूमाल, और 300 साल पुराना दुर्लभ कश्मीरी दुशालाएं (शॉल)।

राष्ट्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा संग्रहालय

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय भारत की रेल विरासत का साक्षी है। राष्ट्रीय रेल संग्रहालय की शानदार प्रदर्शनी कमरे के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर है। इस संग्रहालय के अंदर एक टॉय ट्रेन है, जो आगंतुकों को विस्तार से संग्रहालय देखने का अवसर देता है। इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण रेलवे के 100 साल पुराने कार्यशील और स्थिर मॉडल, पुरातन फर्नीचर, ऐतिहासिक फोटोग्राफ और सिग्नल के उपकरण हैं।

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय

राष्ट्रीय संग्रहालय

राष्ट्रीय संग्रहालय में कलाकृतियों और उत्कृष्ट वस्तुओं का एक अच्छा-खासा संग्रह है, जो 5,000 से अधिक वर्ष पुरानी भारतीय सांस्कृतिक की विरासत को दर्शाता है। इसमें भारतीय और विदेशी दोनों ही तरह की कलाओं की लगभग 2,00,000 प्राचीन कृतियां देखने को मिलती हैं। यहां का पुस्तकालय शोधकर्ताओं के लिए किसी सोने की खान से कम नही है, क्योंकि यहां नृविज्ञान, पुरातत्व, संरक्षण, सजावट कला, इतिहास, साहित्य, संग्रहालय अध्ययन, चित्रकला, दर्शन और धर्म से संबंधित शोध और संदर्भ के लिए किताबें और पत्रिकाएं मौजूद हैं। इस पुस्तकालय में 60,000 से अधिक पुस्तकें और कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाएं भी हैं।
15 अगस्त, सन् 1949 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल श्री आर सी राजगोपालाचारी द्वारा इस संग्रहालय का उद्घाटन किया गया था। इस भवन का शिलान्यास 12 मई, सन् 1955 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। इस भवन के पहले चरण का औपचारिक उद्घाटन 18 दिसंबर, सन् 1960 को डॉ. एस राधाकृष्णन द्वारा किया गया था, और इसका दूसरा चरण सन् 1989 में पूरा हुआ।

राष्ट्रीय संग्रहालय