भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक, जामा मस्जिद, पुरानी दिल्ली में स्थित है। इसका निर्माण सन् 1644 में शुरू किया गया था और मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा इसे पूरा कराया गया। लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनी, इस भव्य मस्जिद को मस्जिद-ए-जहाँनुमा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है दुनिया का दृश्य दिखाने वाली मस्जिद। मस्जिद के आंगन को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है और यहां सीढ़ियों के माध्यम से उत्तर, दक्षिण और पूर्व, तीनों दिशाओं से दाखिल हुआ जा सकता है। कहा जाता है कि यह तीनों रास्ते कभी बाजारों, भोजनालयों और मनोरंजन के स्थलों की ओर जाते थे। मस्जिद का आंगन इतना विशाल है कि यहां एक समय में 25,000 नमाज़ी बैठ कर नमाज़ अदा कर सकते हैं। जामा मस्जिद को 10 मीटर की ऊंचाई
पर बनाया गया है और इसमें तीन द्वार, दो 40 मीटर ऊंची छोटी मीनारें और चार बड़ी मीनारें हैं। मीनारों से पुरानी दिल्ली की हलचल भरी सड़कों का शानदार नज़ारा लिया जा सकता है। मस्जिद में पैगंबर मोहम्मद के कई अवशेष रखे हुए हैं और जो दूर-दूर से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इनमें से कुछ अवशेषों में शामिल है, हिरण की खाल पर लिखे कुरान, पैगंबर के सैंडल और संगमरमर के पत्थर पर अंकित उनके पदचिह्न और एक लाल बाल, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह पैगंबर की दाढ़ी के बाल हैं। जामा मस्जिद, मुग़ल वास्तुकार ओस्ताद खलील द्वारा डिजाइन किया गया था और इसे दस करोड़ रूपये की लागत से बनवाया गया था। किंवदंती है कि पुराने दिनों में मस्जिद का पूर्वी द्वार केवल शाही परिवारों के लिए था। मस्जिद का दौरा करने का सबसे अच्छा समय ईद-उल-फितर और ईद-उल-ज़ोहा के उत्सव के दौरान है, जब इसे दुल्हन के रूप में सजाया जाता है और देश भर के लोग आकर्षित होकर इस मस्जिद को देखने आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि लुटियन्स ने मस्जिद को अपने डिजाइन में इस तरह से शामिल किया कि मस्जिद, कनॉट प्लेस और संसद भवन, तीनों एक सीध में नज़र आएं। नमाज के दौरान मस्जिद में पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं है, पर इस में प्रवेश निशुल्क है, लेकिन परिसर में कैमरा ले जाने के लिए भुगतान करना पड़ता है।

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