बड़े पैमाने पर अच्छे तरीके से छटाई किये उद्यानों से घिरा, हुमायूँ का विशाल मकबरा, दिल्ली के शानदार स्मारकों में से एक है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में निर्मित पहला उद्यान मकबरा है। मुगल वास्तुकला का पर्याय बन चुके भव्य मकबरों में से एक, यह मकबरा ऐसा पहला स्मारक है, जो प्रेम और हसरत की एक कालातीत गाथा को दर्शाता है। मुग़ल सम्राट हुमायूँ की पहली पत्नी, साम्राज्ञी हाजी बेगम ने यह मकबरा, अपने शौहर हुमायूँ की याद में बनवाया था। इस मकबरे में सम्राट और उनकी बेगम दोनों की कब्रें मौजूद हैं। यह मकबरा आज भी उनके शाश्वत प्रेम के वसीयत के रूप में खड़ा है। फारसी वास्तुकार मिरक मिर्जा घियास द्वारा डिजाइन की गई यह भव्य इमारत, दुनिया के सभी कोनों से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जैसे ही आप ताड़ के पेड़ों से घिरे उद्यान में प्रवेश करेंगे, आप सामने ही एक सुंदर फव्वारा पाएंगे, जो फोटोग्राफी के लिए एक शानदार पृष्ठभूमि देता है। इस पूरे उद्यान को उद्यानपथों और पानी के नहरों द्वारा चार मुख्य भागों में विभाजित किया गया है; यह उद्यान इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान में वर्णित ' स्वर्ग उद्यान (पैराडाइज गार्डन)' का पर्याय है। उन चार मुख्य भागों को, पुनः 36 छोटे भागों में विभाजित किया गया है। स्मारक तक पहुंचने के लिए आपको राजसी द्वारों से गुजरना पड़ता है। इसके अंतिम द्वार से ठीक पहले, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा एक दर्शक दीर्घा बनाई गई है, जहां इस स्मारक की पुरानी तस्वीरें प्रदर्शनी में लगाई गई हैं, जो इस मकबरे की भव्यता को दर्शाती है। मकबरे की मुख्य इमारत लाल बलुआ पत्थर से बनी है, जबकि मकबरा सफेद और काले संगमरमर से बनाया गया है। एक आकर्षक द्वार से होते हुए आप मध्य कक्ष में जाएंगे, जिसमें हुमायूँ का मकबरा है। इस हॉल को जटिल नक्काशीदार खिड़कियों और खूबसूरती से डिजाइन की गई छत से सजाया गया है। यह पूरी इमारत एक काफी बड़े चबूतरे पर बनी हुई है, जिस पर कई और मकबरे हैं जिनमें साम्राज्ञी हाजी बेगम और राजकुमार दाराह शिकोह के मकबरे भी शामिल हैं। इस स्मारक का एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि इसमें हुमायूँ के पसंदीदा नाई का मकबरा भी है। सन् 1857 में, अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र ने, अंग्रेजों द्वारा बंदी बनाये जाने और निर्वासित किये जाने के पहले, इस स्मारक का उपयोग अपने आश्रय के लिये किया था। परिसर के दाईं ओर ईसा खान की कब्र है, जो शेरशाह सूरी के दरबार में एक दरबारी थे। यह लोदी-युग की वास्तुकला को दर्शाता है, और इसका निर्माण 16 वीं शताब्दी में किया गया था। हुमायूँ का मकबरा के बेहद करीब, दिल्ली के एक अन्य लोकप्रिय आकर्षण है, हज़रत निज़ामुद्दीन दरगाह। इस दरगाह का निर्माण 14 वीं शताब्दी के सूफी संत निज़ामुद्दीन औलिया की कब्र के चारो ओर किया गया है।

* This embed is a third party content and available in English only.

अन्य आकर्षण