सेंट मैरी चर्च

1679 ईसवी में स्थापित सेंट मैरी चर्च फोर्ट सेंट जॉर्ज परिसर के अंदर स्थित है। यह सबसे पुराने एंग्लिकन इंग्लिश चर्चों में से एक है, जिसकी 5 फुट मोटी दीवारों को बम विस्फोट निरोधी माना जाता है। चर्च के कुछ अनूठे अलंकरणों में एक बाइबिल जो 1660 ईस्वी की है, कुछ चांदी की प्लेटें, एक शुद्ध चांदी की पट्टिका और इनके साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण कलाकृतियाँ शामिल हैं। एक सुंदर गैलरी चर्च के पश्चिमी छोर पर स्थित है और नक्काशीदार बर्मा टीक स्तंभों पर टिकी हुई है। इस गैलरी तक बाहर से दो घुमावदार सीढ़ियों के माध्यम से पहुँचा जा सकता है। इस चर्च को वास्तुकला की यूरोपीय शैली में बनाया गया है, जिसकी संरचना एक आयत की आकृति में निर्मित की गई है। यह भवन चमकदार चूने और गारे से बनी है और इसके आकर्षणों में लकड़ी की सजावट तथा कांच के अद्भुत काम के साथ एक विशिष्ट घुमावदार छत शामिल है। शहर के केंद्र में स्थित इस चर्च में हर साल हजारों लोग आते हैं।

सेंट मैरी चर्च

गुजराती श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन मंदिर

गुजराती श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन मंदिर को दक्षिण भारत के पहले जैन मंदिरों में से एक माना जाता है। तीन सुंदर नक्काशीदार गोपुरम अर्थात द्वार और पांच दरवाजों वाला यह मंदिर पूरी तरह से संगमरमर से बना हुआ है और इस इमारत के अंदर कांच का बेहतरीन काम किया गया है। यह संरचना अन्य भवनों से निर्माण विधि में इस मायने में भिन्न है क्योंकि इस मंदिर में लोहे का उपयोग से पूरी तरह से परहेज़ किया गया है। परिसर के अंदर स्थित मूर्ति बिल्लौर से बनी है। इसके केंद्रीय हॉल में कांच का काम व्यापक पैमाने पर किया गया है जिसके कारण यह रंगों के इन्द्रधनुष जैसा चमकता है। यह माना जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में शामिल वास्तुकारों, पत्थर के नक्काशीकारों और श्रमिकों को राजस्थान से लाया गया था। इस मंदिर में पूजे जाने वाले देवता जैन पंथ के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ हैं।

गुजराती श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन मंदिर

कृष्णमाचार्य योग मंदिर

कृष्णमाचार्य योग मंदिर चेन्नई में योग का अभ्यास करने के लिए सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है। यह भारत में योग चिकित्सा के लिए अग्रणी संस्थानों में से एक है। यह केंद्र व्यक्ति के लिए योग नामक दर्शन पर आधारित है। इस दृष्टिकोण को विनियोग कहा जाता है और इसका उपयोग व्यक्ति के अनुरूप विशिष्ट योग कार्यक्रम बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रकार तैयार किए गए कार्यक्रमों का उपयोग रोग के मूल तक पहुंचने, उसे उखाड़ने और फिर उसका इलाज करने के लिए किया जाता है। योग को यहां सामान्यीकृत शारीरिक अभ्यास के रूप में नहीं बल्कि चिकित्सा के एक समर्पित पाठ्यक्रम के रूप में माना जाता है। यदि कोई इस केंद्र का हिस्सा बनना चाहता है, तो उसका साक्षात्कार और भौतिक मूल्यांकन किया जाता है। पाठ्यक्रम के दौरान छात्र रोगों का उल्लेख करते हैं और विशेषज्ञ उन्हें ठीक करने के लिए आसन और अन्य अभ्यास करने को कहते हैं। जब छात्र यह निर्धारित अभ्यास कर कर रहे होते हैं, तब शिक्षकों के साथ उनकी नियमित बैठकें भी की जाती हैं ताकि समस्या का पुनर्मूल्यांकन किया जा सके और आवश्यक होने पर छात्रों को निर्देश दिया जा सके।

इस केंद्र का भवन अपने आप में एक दर्शनीय स्थल है। यहाँ छोटे चिकित्सा कक्ष हैं जहां परामर्शदाता योगाभ्यासी छात्र की जांच करते हैं, और उन्हें ध्यान के चरणों के माध्यम से निर्देशित किया जाता है। यहाँ शांतिपूर्ण वातावरण व्याप्त है तथा हवादार और चिकने फर्श वाले अभ्यास क्षेत्र हैं।

कृष्णमाचार्य योग मंदिर

कपालेश्वर मंदिर

चेन्नई के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक माना जाता कपालेश्वर मंदिर, भगवान शिव का एक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव की पत्नी, देवी पार्वती की पूजा की जाती है, जो देवी करपगामबल के अवतार में हैं। माना जाता है कि वह 'कल्पवृक्ष की देवी' है। शुक्रवार की पूजा के एक अनुष्ठान के रूप में, देवी करपगामबल को सोने के सिक्कों से बना एक माला भेंट की जाती है जिसे कासू माला कहा जाता है।

वास्तुकला की द्रविड़ शैली की एक उत्कृष्ट मिसाल इस मंदिर की सबसे अच्छी विशेषता 37 मीटर ऊंचा गोपुरम अर्थात द्वार है। इस मंदिर में प्रवेश करने पर ज्ञानसम्बंदर नामक एक पवित्र संत की मूर्तिकला सामने दिखाई देती है। मंदिर के प्रांगण में 63 संतों की कांस्य मूर्तियाँ और चेन्नई के सबसे पुराने पेड़ों में से एक पुन्नई का पेड़ मौजूद है।

कपालेश्वर मंदिर

सैंट थॉमस बेसिलिका

यह सफेद रंग में रंगा एक सुंदर प्राचीन रोमन कैथोलिक कैथेड्रल है, पुर्तगाली मूल का यह चर्च 16वीं शताब्दी में स्थापित किया गया। इसे 1896 में नियो-गोथिक शैली में फिर से बनाया गया, और इसे सैंट थॉमस द एपल का अंतिम विश्राम स्थल कहा जाता है। इस मकबरे की दीवार पर एक छोटे से क्रॉस में एक छोटी हड्डी का टुकड़ा मौजूद है जिसे सेंट थॉमस का अवशेष' कहा जाता है। यहाँ एक भूमिगत मकबरे के चैपल में पूजा की जाती है और श्रद्धालुओं का मानना ​​है कि कब्र से निकलने वाली रेत में चमत्कारी उपचार शक्तियां हैं। बेसिलिका में एक सुंदर कांच की खिड़की सेंट थॉमस की कहानी को चित्रित करती है और इसके केंद्रीय हॉल में 14 लकड़ी की पट्टिकाएं हैं जो क्रॉस को दर्शाती हैं। कैथेड्रल में वर्जिन मैरी की 3 फीट ऊंची प्रतिमा भी है, माना जाता है कि इसे 1543 में पुर्तगाल से लाया गया था।

सैंट थॉमस बेसिलिका