1906 में निर्मित राष्ट्रीय आर्ट गैलरी भारत की सबसे पुरानी कला दीर्घाओं में से एक है। आंध्र प्रदेश के सत्यवेदु से लाए गए लाल पत्थरों से निर्मित यह इमारत एक भव्य संरचना है जिसे इंडो-सरसेनिक वास्तुकला शैली में बनाया गया है। इस कला दीर्घा को चार खंडों में वर्गीकृत किया गया है: सजावटी कला दीर्घा, रवि वर्मा पेंटिंग, तंजावुर पेंटिंग और भारतीय पारंपरिक कला दीर्घा। यहाँ एक अलग पेंटिंग खंड भी स्थित है जिसमें तंजावुर, राजस्थान, दक्कन और कांगड़ा सहित कई लघु चित्रों के माध्यम से युद्ध स्थलों को अभिव्यक्त किया गया है। इस कला दीर्घा में कई अन्य प्रदर्शक भी मौजूद हैं जिनमें ऐतिहासिक कलाकृतियाँ और धार्मिक मूर्तियां हैं। इसके अलावा 10वीं और 11वीं शताब्दी की प्राचीन हस्तकला के नमूने भी यहाँ संग्रहीत हैं। प्राचीन पुस्तकों और पांडुलिपियों के साथ भगवान राम और उनकी पत्नी सीता की छवियां दर्शनीय हैं। यह भवन समकालीन कला दीर्घा के पास स्थित है, जिसमें राजा वर्मा और रवि वर्मा जैसे प्रतिष्ठित चित्रकारों का काम मौजूद है। 

अन्य आकर्षण