कभी इस क्षेत्र के संप्रभु शासक रहे 12 प्रभावशाली बहमनी शासकों के मकबरे इस शहर के बाहरी इलाके में अश्तूर में स्थित हैं। 1436 से 1535 के बीच निर्मित यह मकबरे उस समय की वास्तुकला का बेहतरीन नमूना हैं। इनमें से सबसे प्रभावशाली अहमद शाह प्रथम (1422-1436) का मकबरा है, जो 30 मीटर से अधिक ऊंचा है। इसके अंदरूनी हिस्सों को आश्चर्यजनक रंगों और जटिल रूपलेखों में चित्रित किया गया है। अन्य मकबरे भी अद्भुत हैं और उनमें से कई की छतों पर चित्रकारी की गई है। यहाँ कुरान की आयतों को सोने के रंग में दीवारों पर सजाया भी गया है। पर्यटक यहाँ शानदार मेहराबों और बुलंद गुंबदों के नज़ारे भी कर सकते हैं। एक मकबरे में तो हिंदू धर्म से जुड़े स्वास्तिक चिन्ह को भी देखा जा सकता है। एक और उल्लेखनीय मकबरा अली बारिद का है, जिसमें 25 मीटर ऊंचा गुंबद है और जो एक चतुष्वर्गाकार उद्यान के बीच में स्थित है। सुल्तान अलाउद्दीन-शाह II की कब्र को बारीक़ पत्थरों से सजाया गया है और मेहराबों को नक्काशी से सुसज्जित किया गया है। मध्ययुगीन कला के उच्च पारखी भलीभांति संरक्षित इन इस्लामी चित्रों को बेहद पसंद करते हैं। इन मकबरों का विशिष्ट विन्यास यह है कि आंतरिक दीवारों को चित्रों से सजाया गया है जबकि बाहरी दीवारों को सुंदर व बारीक़ पत्थरों के काम से सुसज्जित किया गया है। 

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