पुल पुख्ता नामक एक पुल ऊपरी झील और निचली झील नाम की इन दोनों झीलों को जोड़ता है । साफ जल से भरे हुए यह दोनों सरोवर भारत के संभवतः सर्वाधिक हरे भरे और सुरम्य जलप्रपातों में से हैं, और इनके इर्दगिर्द विशाल बगीचे स्थित हैं।

11 वीं शताब्दी में निर्मित बड़ा तालाब या ऊपरी झील या भोजताल देश की सबसे पुरानी मानव निर्मित झीलों में से एक है। 36 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला यह ताल पर्यटकों को अद्भुत दृश्य देखने तथा जल खेलों का आनंद लेने के अवसर प्रदान करता है। वे झील में नौकायन कर सकते हैं या निकट स्थित कमला पार्क में आराम कर सकते हैं। यहाँ पैडल बोट, सेलबोट और मोटरबोट की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। सूर्यास्त के अतुलनीय सौन्दर्य का आनंद लेने के लिए यहाँ शाम को शांत पानी में नौका विहार किया जा सकता है – उस समय ढलते हुए सूरज की किरणें सतह से टकराती हैं, और ऐसा लगता है मानो पूरी झील में अग्नि प्रज्जवलित है! ऊपरी झील 11 वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा भोज द्वारा बनवाई गई थी। किंवदंती है कि राजा भोज को त्वचा की कोई रहस्यमयी बीमारी थी जो किसी दवा या जड़ी बूटी से ठीक नहीं हो रही थी। एक संत ने उन्हें सलाह दी कि वे 365 सहायक नदियों के पानी से मिल कर बने एक सरोवर का निर्माण करें और अपने दर्द को कम करने के लिए उस में स्नान करें। इस प्रकार ऊपरी झील का निर्माण किया गया। सन 2011 में राजा भोज के सम्मान में इसका नाम बदलकर भोजताल रख दिया गया।

इसकी पूर्व दिशा में सन 1794 में नवाब हयात मोहम्मद खान के एक मंत्री कोट खान द्वारा निर्मित निचली झील या छोटी झील स्थित है। दोनों झीलों को एक साथ मिला कर भोज वेटलैंड्स के रूप में जाना जाता है। झीलों के आसपास के लॉन अच्छी तरह से बनाए हुए हैं और इत्मीनान से टहलने के लिए या एक सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए उत्तम हैं। भोज वेटलैंड्स में कई प्रकार के पक्षियों का बसेरा भी है, इसलिए बड़ी झील और छोटी झील पर उनकी भीड़ रहती है!

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