यूनेस्को द्वारा बायोस्फीयर रिजर्व अथवा जीवमंडल संरक्षित स्थान की मान्यता प्राप्त पचमढ़ी एक आदर्श सप्ताहांत भ्रमण स्थल है, जो समुद्र तल से लगभग 1,067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और सतपुड़ा पहाड़ियों की शांत घाटी में स्थित है। प्रकृति-प्रेमियों और खिलाड़ियों में अत्यधिक लोकप्रिय इस शहर की खोज 1857 में कैप्टन जेम्स फोर्सिथ ने की थी। पचमढ़ी के जंगल में बाघ और हाथी सहित कई पक्षियों और जानवरों का निवास है, और यहाँ वनस्पतियों की अनेकों क़िस्में पाई जाती हैं। जामुनों के सुगंधित पेड़ों और बांस के मोटे गुच्छों से आबद्ध पचमढ़ी की यात्रा प्रकृति के रहस्यों को जानने के लिए सीखे गए सबक की तरह है।

पीढ़ियों से चली आ रही किंवदंतियों के अनुसार यहां की पहाड़ियां भगवान शिव से संबंधित हैं। इस स्थान को सतपुड़ा की रानी के नाम से भी जाना जाता है, और यह कहा जाता है कि पांडवों ने निर्वासन की अवधि के दौरान पचमढ़ी का दौरा किया था। देश के सबसे ऊंचे झरनों में से एक रजत प्रपात भी यहीं स्थित है। पचमढ़ी उन आकर्षणों से भरा है जो आगंतुकों को दिनों तक अपने सम्मोहन में आबद्ध रखते हैं। आप यहाँ जमुना प्रताप नामक एक दूसरे झरने के साथ ही अप्सरा विहार व आइरीन पूल इत्यादि का भी अवलोकन सकते हैं।

पचमढ़ी इस राज्य के सबसे लोकप्रिय पर्वतीय स्थानों में से एक है, जिसमें बौद्धकालीन प्राचीन गुफाओं की एक श्रृंखला समेत प्रकृति के कई खज़ाने छुपे हुए हैं। लगभग 10,000 साल पुरानी यह गुफाएं महादेव पहाड़ियों में स्थित हैं।

अन्य आकर्षण