कब्बन पार्क

निस्संदेह देश के सबसे खूबसूरत पार्कों में से एक, बेंगलुरु का कब्बन पार्क ब्रिटिश उपनिवेशीय सौंदर्य से सराबोर है। यह शहर के बीचों-बीच स्थित है। बागों के शहर बेंगलुरू का मुख्य आकर्षण, लाल रंग का ब्रिटिशयुगीन पुस्तकालय, मूर्तियां, संग्रहालय, मछलीघर, टेनिस अकादमी, टॉय ट्रेन और कई पैविलियन हैं। 300 एकड़ में फैले इस पार्क में अच्छी रख- रखाव वाले जॉगिंग ट्रैक, आरामदायक बेंच, छायादार पेड़, फूलदार पेड़, फव्वारे और सुंदर उद्यान पथ हैं। सुबह और शाम जॉगिंग के लिए कब्बन पार्क एक आदर्श स्थल है। यह बेंगलुरु के प्रफुल्लित सुखद मौसम का आनंद लेने के लिए एकदम सही जगह है। आधिकारिक तौर पर इसे श्री चामाराजेन्द्र पार्क के रूप में जाना जाता है। कब्बन पार्क वर्ष 1870 से भी पहले का है और बेंगलुरु का एक अनिवार्य दर्शनीय स्थल है। विधान सौधा और उच्च न्यायालय कुछ महत्वपूर्ण इमारतों में से हैं जो पार्क की परिधि में स्थित हैं।

कब्बन पार्क

नंदी हिल्स

बेंगलुरु शहर के ताज के रूप में मौजूद, नंदी हिल्स शहरवासियों और पर्यटकों के लिए सप्ताहांत बिताने का एक लोकप्रिय स्थान है। नीचे-लटकते बादलों और धुंध से घिरा नंदी हिल्स प्रकृति प्रेमियों और ट्रेकर्स के लिए एक स्वर्ग है, जो अपने अलौकिक सौंदर्य और मनोरम वातावरण से सम्मोहित करता है। नंदी हिल्स व्यू प्वाइंट के मनोरम प्राकृतिक दृश्यों को देखकर सांसें थम सी जाती हैं। आप यहां के टीपू के ड्रॉप पॉइंट तक भी जा सकते हैं, जो एक पहाड़ी पर स्थित है। इसे वह स्थान कहा जाता है जहां से मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की सेना ने कैदियों को दूर भगा दिया था। यह स्थान नंदी पहाड़ियों के विहंगम दृश्य का आनंद लेने के लिए सबसे अच्छी जगह है। 9 वीं शताब्दी का भोगा नंदेश्वर मंदिर जिसे नंदी मंदिर भी कहा जाता है, कर्नाटक के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इसकी शानदार वास्तुकला और शांतिपूर्ण वातावरण सदियों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही है। इतिहास प्रेमी यहां से सुल्तान टीपू सुल्तान के ग्रीष्मकालीन निवास को देखने जा सकते हैं, जिसे तश्क- ए-जन्नत कहा जाता है। लकड़ी से निर्मित नंदी मंदिर अपनी सुंदर नक्काशीदार मेहराबों, रंगी हुई दीवारों, ऊंची छत और स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है।

नंदी हिल्स

लालबाग

अंतर्राष्ट्रीय रूप से वनस्पति कलाकृतियों और पौधों के संरक्षण केंद्र के रूप में प्रसिद्ध, लाल बाग राज्य के सबसे सुंदर उद्यानों में से एक है। 240 एकड़ में फैला, यह पार्क अपने लोकप्रिय ग्लास हाउस के साथ बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करता है। यहां 1,854 पौधों की विभिन्न प्रजातियां मिल जाती हैं। ग्लास हाउस में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन होता है। लाल बाग कभी मैसूर के सुल्तान हैदर अली का निजी उद्यान हुआ करता था। प्रारंभ में लाल बाग मुगल शैली में 40 एकड़ क्षेत्र में निर्मित किया गया था। अंग्रेजों ने पार्क के मूल स्वरुप को बदल दिया और इसे वर्तमान स्वरूप दिया। पार्क की एक यात्रा पर्यटकों के लिए एक दिलचस्प अनुभव है।

लालबाग

मेकेदातु

बेंगलुरु के आस-पास यदि आप एक दिन कि यात्रा पर जाना चाहतें हैं तो मेकेदातु बहुत सही जगह है। शहरवासी और पर्यटक यहां बड़ी संख्या में कावेरी नदी के अनोखे नज़ारे को देखने आते हैं। कावेरी नदी यहां संकरे चट्टानों से होकर झरने के समान बहती है। हरे-भरे परिदृश्यों से घिरी यह नदी कठोर ग्रेनाइट चट्टानों की एक संकीर्ण और गहरी घाटी से होकर बहती है। यहां का एक प्रमुख स्थान है, 'संगम', जहां अरकावती और कावेरी नदियां आपस मे मिलती हैं। पर्यटक यहां से सुंदर संगमेश्वर मंदिर भी जा सकते हैं, जहां पूरे साल भर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। मेकेदातु के अन्य महत्वपूर्ण आकर्षणों में शिवसमुद्रम जलप्रपात और कल्लहल्ली श्री श्रीनिवास मंदिर शामिल है। कन्नड़ भाषा में 'मेकेदातु' शब्द का अर्थ है बकरी की गोद। इस जगह का ऐसा नाम इसलिए रखा गया क्योंकि कावेरी नदी यहां इतनी संकरी घाटियों से होकर बहती है कि एक बकरी भी उसे छलांग लगाकर पार कर सकती है। सर्दियों का मौसम मेकेदातु घूमने का सबसे अच्छा समय है।

मेकेदातु

उल्सूर झील

शहर की व्यस्त सड़कों पर थोड़ी दूर आप जाएंगे तो शहर के एकदम बीच में स्थित यह सुंदर जलाशय मिलेगा। उल्सूर झील अपने दर्शनीय/मनोरम वातावरण, नौका विहार, शांत जल और कई छोटे द्वीपों से पर्यटकों को आकर्षित करता है। बोट क्लब से एक क्रूज किराए पर लेकर आप इस प्राचीन झील की जलराशि में घूमते और असंख्य द्वीपों को देखते हुए, इसकी सादगी और शांत वातावरण में रम जाएं। शहर के उत्तरपूर्वी तट पर स्थित, उल्सूर झील को दूसरी शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के एक शासक केम्पे गौड़ा द्वितीय द्वारा बनाया गया था। अगस्त और सितंबर के महीनों में मनाए जाने वाले गणेश महोत्सव के दौरान झील में बहुत भीड़ होती है। आप झील के पास स्थित मनोरंजक परिसर का भी भ्रमण कर सकते हैं या अच्छे रख-रखाव वाले स्विमिंग पूल में तैराकी का मजा़ ले सकते हैं। आसपास के अन्य आकर्षणों में शहर का सबसे बड़ा माना जाने वाला गुरुद्वारा और भगवान सुब्बाराय का मंदिर है।

उल्सूर झील

मुथ्याला मडुवु या पर्ल वैली

बेंगलुरु से सबसे लोकप्रिय और दर्शनीय सैरगाह में से एक, मुथ्याला मडुवु या पर्ल घाटी वास्तव में सम्मोहक है। हरी भरी पहाड़ियों से घिरी यह मनोरम घाटी पिकनिक के लिए बेहतरीन जगह है। घाटी का मुख्य आकर्षण 90 मीटर की ऊंचाई से गिरता एक अद्भुत झरना है। जब पानी घाटी के पेड़ पौधों से होकर बहता है, तो उन पर पड़ी पानी के बूंदे मोतियों के समान ऐसे खिल जाती हैं, मानो उन्हें धागों में पिरोकर रखा गया हो। इसी कारण इस घाटी का नाम पर्ल वैली पड़ा। यह घाटी पक्षी-प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां कई प्रकार की एवियन पक्षी की प्रजातियां पाई जाती हैं। पर्यटक भगवान शिव के एक छोटे से मंदिर में भी जा सकते हैं। पर्ल वैली बड़ी संख्या में ट्रेकर्स और साहसिक उत्साही लोगों को आकर्षित करती है क्योंकि इसके खुले जंगल और पर्वत श्रृंखलाओं में ट्रेकिंग के पर्याप्त अवसर हैं।

मुथ्याला मडुवु या पर्ल वैली

हेसरघट्टा झील

1,000 एकड़ में फैला, मानव निर्मित हेसरघट्टा झील शहर का एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। यह न केवल शहर का एक आदर्श दर्शनीय सैरगाह है, बल्कि बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमियों को भी आकर्षित करता है। लोकप्रिय प्रवासी और एवियन प्रजातियों में से कुछ पाइपिट, किंगफिशर, तालाब बगुला, मैगपाई रॉबिन, ब्लैक ड्रोंगो, ब्राह्मणी काइट, ब्लैक काइट, कॉरमोरेंट और बगुला जैसी पक्षियों को आप यहां देख सकते हैं। झील भी आनंदमय प्रकृति की सैर के लिए एकदम सही जगह है। एक सरकारी मछलीघर और लोकप्रिय नृत्य गांव, नृत्यग्राम भी जाया जा सकता है, जो प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक प्रोतिमा बेदी द्वारा स्थापित किया गया था। यह मीठे पानी की झील वर्ष 1894 में बेंगलुरु की बढ़ती पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अर्कवती नदी के पास बनाई गई थी। इस दर्शनीय स्थल की परिकल्पना उस समय के मैसूर राज्य के तत्कालीन दीवान, सर के. शेषाद्री अय्यर और मुख्य अभियंता एमसी हचिंस द्वारा की गई थी।

हेसरघट्टा झील