इस प्राचीन शहर को अपना नाम भगवान राम के पुत्र कुश से मिला है, जिन्हें इसका संस्थापक शासक कहा जाता है। कुशीनगर भारत के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक है। कुशीनगर में प्रमुख पर्यटक आकर्षण प्राचीन महापरिनिर्वाण मंदिर है, जो बौद्धों के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। मंदिर में भगवान बुद्ध की 6 मीटर लंबी मूर्ति है जिसमें वे दाहिनी ओर टेक लेकर लेटे हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने यहाँ मोक्ष की सर्वोच्च स्थिति प्राप्त की थी। महापरिनिर्वाण मंदिर के दर्शन करने के बाद कुशीनगर संग्रहालय जाकर इस शहर के इतिहास के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 1992 में स्थापित इस संग्रहालय में ऐसी कई पुरातात्विक उत्खनित वस्तुएँ मौजूद हैं जो कुशीनगर में खोजी गई थीं। इनमें मूर्तियां, मुहरें, सिक्के, बैनर, पुरावशेष और मूर्तियाँ शामिल हैं। इस संग्रहालय की सबसे खास विशेषता गंधार शैली में निर्मित भगवान बुद्ध की आदमकद मूर्ति है। यहाँ से निकल कर पर्यटक रामभर स्तूप का दौरा कर सकते हैं, जो उस स्थान को चिह्नित करता है जहां भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था। ताड़ के वृक्षों से सुसज्जित एक बगीचे के निकट स्थित यह स्तूप लगभग 50 फीट लंबा है। यहाँ का एक अन्य उल्लेखनीय स्थल सूर्य मंदिर है जिसका निर्माण गुप्त काल (319 ईसवी से 550 ईसवी के दौरान किया गया था। यहाँ बेशकीमती नीलम को गढ़ कर बनाई गई सूर्य देव की एक सुंदर मूर्ति है। कुशीनगर अयोध्या से 188 किमी की दूरी पर स्थित है और यहाँ देश के सभी हिस्सों से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

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