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टीकमगढ़ (अब मध्य प्रदेश) की रानी वृषभानु कुमारी द्वारा निर्मित कनक भवन का सुंदर मंदिर भगवान राम और उनकी पत्नी देवी सीता को समर्पित है। राजस्थान और बुंदेलखंड क्षेत्र के भव्य महलों से आश्चर्यजनक समानता रखने वाले इस मंदिर को अक्सर ‘सोने-का-घर’ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
किंवदंती है कि यह मंदिर भगवान राम की सौतेली माँ, रानी कैकेयी द्वारा देवी सीता को तब उपहार में दिया गया था, जब भगवान राम से विवाह होने के बाद वे अयोध्या पहुंची थीं। मंदिर के केंद्रीय हॉल में तीन तरफ मेहराबदार दरवाजे हैं और इसके गर्भगृह में भगवान राम और देवी सीता की सोने के मुकुट से सजी मूर्तियां स्थापित हैं। मूर्तियों को सोने के वज़नदार आभूषणों के साथ खूबसूरती से सजाया गया है । चूंकि सोने का एक पर्यायवाची ‘कनक’ भी है, यही वजह है कि इस मंदिर को कनक भवन कहा जाता है। इस मंदिर में सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 8 बजे से 11.30 बजे और शाम 4.30 बजे से 9 बजे तक जाया जा सकता है।