गांधी तीर्थ

जलगांव के जैन हिल्स में स्थित, गांधी तीर्थ एक 65,000 वर्ग फुट में फैला परिसर है जिसमें कई अनुसंधान केन्द्र और महात्मा गांधी के जीवन से संबंधित संग्रहालय शामिल हैं। आम के एक बाग और इसके सुंदर मार्गों के बीच बने इस परिसर का भूदृश्य बहुत अनोखा बना हुआ है। यह विशाल गार्डन जो 300 एकड़ में फैले हुआ है, अपको शहर की हलचल से दूर जाने का मौका देता है। यहां आने वाले लोग यहीं बने आवासीय परिसर में रहने के लिये कमरा भी ले सकते हैं। यह संस्थान एक अत्याधुनिक 'गांधी जी की खोज' संग्रहालय का घर है। इसमें पर्यटकों के लिए विभिन्न इंटरैक्टिव मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन्स भी हैं जिनसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ हमारे राष्ट्रपिता के सिद्धांतों और उनके जीवन के बारे में जानकारी मिल सकती है। गांधी तीर्थ, जी.आई.आर.आई, यानी गांधी इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट, का भी घर है। यह संस्थान की शैक्षिक शाखा है, जो गांधी अध्ययन में डिग्री, और प्रमाण पत्र प्रदान करती है और विश्व स्तरीय अनुसंधान की सुविधा भी देती है। यह परिसर गांधी जी पर चर्चा करने वालों (थिंक-टैंक) का घर है, जिसका उद्देश्य गांधी जी के सिद्धांतों को वर्तमान की नीतियों, राजनीतिक चुनौतियों और दृष्टिकोणों के साथ मिलाना है। गांधीजी द्वारा और उनपर लिखे कई लेखों का एक संग्रह भी इस परिसर का एक हिस्सा है। यहां 'गांधीनोमिक्स' नामक एक पहल भी शुरू की गई है, जो गांधीवादी विचारधारा के आधार पर ग्रामीण विकास और आउटरीच कार्यक्रम बनाने की दिशा में काम करती है। इस परिसर में कुछ रोमांचक तकनीकी विशेषताओं लिये ऐसे खंड भी शामिल हैं जो टच स्क्रीन, बायोस्कोप, डिजिटल किताबें, 3-डी मैपिंग और एनीमेशन से लैस हैं। यहाँ गांधी जी की एक सजीव सी दिखने वाली प्रतिमा भी है, जो असल में घूमती है। यह संग्रहालय के 2.5 घंटे के निर्देशित दौरा (गाइडेड टूर) का हिस्सा है जिसका पर्यटक आनंद ले सकते हैं।

गांधी तीर्थ

खरीदारी

यहाँ के हथकरघे के उत्पादों की काफ़ी ज़्यादा रेंज है जो औरंगाबाद आने वाले खरीदारों को काफ़ी लुभाती है। यहां कई अनोखी चीजें खरीदी जा सकती हैं, जैसे कि हिमरू शॉल जिसमें ढीले रेशम की एक ज़्यादा परत होती है, जो इन्हें इतना नरम बना देती है कि जो लगभग रेशम जैसा अहसास कराता है। कुछ लोकप्रिय हिमरू चीजें जो आप खरीद सकते हैं, वे हैं शॉल, तकियाखोल, जैकेट, चादर, कोट और पर्दे। यदि आप औरंगाबाद में हैं तो आपको एक पैठणी साड़ी ज़रूर लेनी चाहिए। शानदार बुनाई वाली इन साड़ियों की यह विशेषता है कि ये दोनो तरफ और पाड़ और पल्लू, पर बिल्कुल एक सी दिखती है। एक साड़ी को बनाने में लगभग एक या दो महीने का समय लगता है और इसको बुनने में हाथ, पैर और आंखों के बीच सटीक मेलजोल चाहिए। जहां एक रंग के धागे का उपयोग लंबाई दिशा पर किया जाता है, वहीं दूसरे रंग का उपयोग चौड़ाई दिशा पर किया जाता है। इससे साड़ी को रोशनी में चमकने की क्षमता मिलती है जिससे इसमें झिलमिलाते सुंदर रंग उभर कर सामने आते हैं। ऐसा लगता है कि मानो साड़ी अपना रंग बदल रही हो। कागज़ीपुरा गांव का एक अनोखा हाथों से बना कागज़ भी खरीदने योग्य है। कागज़ बनाने की यह कला लगभग 700 साल पुरानी बताई जाती है, जो दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुगलक के समय की है। यहां का एक और आकर्षण बीदरीवेयर है और इसकी तश्तरियां, कटोरे, फूलदान, ऐशट्रे, आभूषण आदि जैसी कई वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं, जो तांबे पर सोने और चांदी के धागों से जड़ाई का काम कर बनाई जाती हैं।

खरीदारी

हिमरू फैक्ट्री

स्थानीय लोगों ने लगभग डेढ़ सदी से हिमरू फैक्ट्री का संरक्षण किया है और इसका कारण यहां आकर यह साफ़ ज़ाहिर हो जाता है। हिमरू पारंपरिक रूप से फारस की बुनाई की तकनीक है। आज, हिमरू फैक्ट्री का शोरूम पारंपरिक तौर पर बने ब्लाउज, कोट, लहंगे, पैठणी साड़ियों, हेन्डलूम शॉल, बेड कवर और साज-सज्जा के कपड़ों के लिए शहर की सबसे अच्छी जगहों में से एक है।

हिमरू फैक्ट्री

सोनेरी महल

औरंगाबाद गुफाओं की तलहटी में स्थित, यह महल बुंदेलखंड के एक सरदार द्वारा बनाया गया था, जो मुगल सम्राट औरंगजेब के साथ दक्कन क्षेत्र में आए थे। यह 1651 और 1653 ईस्वी के बीच बनाया गया था और सन् 1979 में इसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया। इसके प्रमुख प्रदर्शनों में खुदाई के दौरान पायी गयी स्थानीय महलों की प्राचीन वस्तुओं, सिक्कों, प्राचीन मिट्टी के बर्तनों, चित्रों और मूर्तियों के अवशेष शामिल हैं।

सोनेरी महल

सिद्धार्थ बाग और चिड़ियाघर

सिद्धार्थ बाग और चिड़ियाघर, घूमने-फिरने के लिए एक बहतरीन जगह है जहां परिवार साथ दिन भर के लिये जाया जा सकता है। काफी बड़े और हरे-भरे बाग और एक अच्छे से संचालित चिड़ियाघर यहां के मुख्य आकर्षण हैं। ये चिड़ियाघर कई दिलचस्प जानवरों का घर है, जिनमें सबसे मुख्य है, सफ़ेद बाघ। यहां मछलियों की भी कई प्रजातियां देखने को मिलती हैं। बाग का एक और मुख्य आकर्षण है, ट्वॉय-ट्रेन जो बच्चों द्वारा काफ़ी पसंद की जाती है।

सिद्धार्थ बाग और चिड़ियाघर