यह एक छोटा द्वीप हैए जो आकार में एक वर्ग किलोमीटर से भी कम हैए यह पोर्ट ब्लेयर के समीप स्थित है। यह द्वीप वर्ष 1858 से 1941 तक इस क्षेत्र की ब्रिटिश राजधानी थीय जब जापानियों ने इस पर कब्जा कर लिया तो इसे श्प्रिजनर ऑफ वॉरश् ;च्व्ॅद्ध स्थल में बदल दिया गया। इसके अलावा यहां का मुख्य आकर्षण चर्च का एक खंडहरए मुख्य आयुक्त का घरए कैथेड्रलए अंग्रेजों के कब्रिस्तान और कुछ अन्य महत्वपूर्ण स्थल हैं। पोर्ट ब्लेयर में एबरडीन जेटी से फेरी वाले बुधवार को छोड़कर सभी दिनों में रॉस द्वीप पर आगंतुकों को लाते ले जाते हैं।

 

यहां पर होने वाला साउंड एंड लाईट शो और यहां रहने वाले कई निवासी इस द्वीप का ऐसा इतिहास बताते हैंए जो शायद इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में कभी न पढ़ाया गया हो। नाव की सवारीए द्वीप पर प्रवेश और साउंड एंड लाइट शो के टिकट पर्यटन निदेशालय के रिसेप्शन काउंटर से खरीदे जा सकते हैं। रॉस द्वीप का नाम समुद्री सर्वेक्षणकर्ताए श्डैनियल रॉसश् के नाम पर रखा गया थाए लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर दिसंबर 2018 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप कर दिया गया।

अन्य आकर्षण