सेल्युलर जेल या काला पानी की यात्रा करना ऐसा हैए मानो आप उन सभी पुरानी देशभक्ति वाली हिंदी फिल्मों को फिर से जी रहे हों। इसका इतिहास आपको इसे एक अंधेरी जेल की तरह सोचने के लिए मजबूर करता हैए लेकिन जैसे ही आप इसके परिसर में घुसेंगेए यहां आपको ब्राइटए साफ.सुथरा और सूरज की रौशनी से भरा एक कोर्टयार्ड नज़र आएगा।

 

पोर्ट ब्लेयर की सेल्युलर जेल एक ऐसी जेल हैए जहां अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहे भारतीयों को बहुत ही अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था। एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में प्रसिद्ध इस उपनिवेशीय कारागार का निर्माण वर्ष 1896 में शुरू हुआ था और वर्ष 1906 में यह बनकर तैयार हुआ। इसे सेल्युलर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे इस तरह बनाया गया था कि एक कोठरी में कैदी को अकेले ही कैद किया जा सके। शुरूआत में यहां सात विंग थे और केन्द्र में विशाल घंटे वाला एक टावर थाए जिसके चारों ओर पहरेदार तैनात रहते थे। हर विंग में तीन मंजिल थी और हर कालकोठरी की लंबाई 15 फिट और चौड़ाई 9 फिट थीए जिसके हर 9 फिट पर एक खिड़की हुआ करती थी। विंग्स को साइकिल के पहियों की तरह बनाया गया थाए जिसके हर एक विंग से दूसरी विंग पर नज़र रखी जा सकती थी। इस कारण एक कैदीए दूसरे कैदी से कभी भी बात नहीं कर सकता था। अब इन सात विंग में से केवल तीन ही विंग बचे हैं और बाकी के विंग को अस्पतालों और सरकारी कार्यालयों में बदल दिया गया है। जिस कोठरी में वीर सावरकर ;विनायक दामोदर सावरकरद्ध को उनकी सज़ा के दौरान रखा गया थाए वहां अब उनके कंबलए एक कटोरीए सादी चारपाई आदि को नुमाईश के तौर पर उस वक्त के कैदियों के जीवन को दर्शाने के लिए रखा गया है। उनकी कोठरी से हैंगिंग यार्ड का नज़ारा साफ.साफ दिखाई देता थाए जहां कैदियों को फांसी की सज़ा दी जाती थी।

यह जेल अब उन सभी पर्यटकों के लिए तीर्थस्थल हैए जो भारतीय इतिहास के उस काले दौर को समझना चाहते हैं और वहां शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं। यह जेल संग्रहालय राष्ट्रीय अवकाशों को छोड़कर सभी कार्य दिवसों में सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 1ः30 से शाम 4ः45 तक खुला रहता है।

इन भयावह कोठरियों को देखनेए हैंगिंग यार्ड से होकर गुज़रने और ऐसी जगह के बारे में जानने के लिए उत्साहित करता हैय जहां कैदियों के भागे जाने की ज़रा भी संभावना नहीं थीय इसे सोचने मात्र से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हर शाम को यहां होने वाला श्साउंड एंड लाइट शोश् भीड़ को अपनी तरफ खींचने के साथ.साथए उस समय के कैदियों और उनके साथ रहने वाले लोगों के दर्द को बयां करता है। इस शो को वेटरन एक्टर मनोहर सिंहए स्वर्गीय टॉम ऑल्टर और स्वर्गीय ओम पुरी जैसे दिग्गजों ने अपनी आवाज़ दी हैए जो इस शो को बेहद मार्मिक बना देती है।

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