भारत और पाकिस्तान सीमा पर वाघा सीमा एक सैनिक चौकी है जो अमृतसर और लाहौर (पाकिस्तान) के मध्य स्थित है। यह अमृतसर से लगभग 28 किलोमीटर दूर है, जो पड़ोसी देश पाकिस्तान जाने वाले प्रमुख मार्गों में से एक है। यहां स्थित अनेक इमारतों, सड़कों एवं बैरियर्स के अलावा कोई भी यहां होने वाले आकर्षक बीटिंग द रिट्रीट समारोह का साक्षी बन सकता है, जो यहां प्रतिदिन आयोजित होता है। समारोह के दौरान, सीमा के दोनों ओर स्थित द्वारों पर चौकस सैनिक खड़े होते हैं। तब, द्वार खोले जाते है तथा भारत व पाकिस्तान का एक-एक सैनिक एक दूसरे की ओर आते हैं, क्रोधित होने की नकल करते हैं तथा गुस्से से देखते हैं। तत्पश्चात् वे सैनिक एक दूसरे से हाथ मिलाते हैं तथा द्वार के दोनों ओर स्थित भारत एवं पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडों को एक साथ नीचे उतारा जाता है। प्रेरित करने वाले इस सैन्य समारोह को देखने दोनों देशों के लोग एकत्रित होते हैं। भारतीय सीमा में एक भव्य द्वार है जिस पर ‘स्वर्ण जयंती द्वार’ लिखा हुआ है। यहां से कोई भी वाघा सीमा पर होने वाले इस प्रभावशाली आयोजन का आनंद ले सकता है। अमृतसर यात्रा के दौरान राष्ट्रीय झंडों को उतारने का समारोह अवश्य देखना चाहिए, जोश-भर देने वाले इस आयोजन को देखकर कोई भी गौरवांवित महसूस करता है।   

जैसे ही रात होती है, दिन की समाप्ति को दर्शाने के लिए यह स्थल रोशनी से जगमगा उठता है। समारोह के दौरान लोग जब राष्ट्रीय गान गाना आरंभ करते हैं तथा तालियों के साथ जवानों का मनोबल बढ़ाते हैं तो वातावरण देशभक्ति के भाव से भर जाता है। किसी देश अथवा राष्ट्रीयता के प्रति गर्व की उत्साह भरी भावना दुर्लभ ही देखने को मिलती है। वाघा सीमा के निकट देखने लायक एक अन्य स्थल शाम सिंह अटारी की समाधि है। वह सिख साम्राज्य की सेना में प्रतिष्ठित जनरल थे। वहां स्थित तालाब के समीप उनके परिजनों की समाधियां भी बनी हुई हैं।  

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