अमृतसर की गलियों में मिलने वाले स्वादिष्ट व्यंजन खाना, इसके खज़ाने का भरपूर आनंद लेने के सर्वोत्तम उपायों में से एक है। यद्यपि यहां बहुत से प्रतिष्ठित होटल एवं रेस्तरां हैं जहां विश्वस्तरीय के साथ-साथ पारंपरिक व्यंजन परोसे जाते हैं। कोई भी यहां के बाज़ारों में  स्थित खाने-पीने की दुकानों पर मसालेदार एवं समृद्ध ज़ायके का चुनिंदा खाना खा सकता है।    

अमृतसरी मछली

आप इस लज़ीज़ व्यंजन का स्वाद अमृतसर की किसी भी स्थानीय खाने की दुकान के साथ-साथ उत्तमपंचसितारा होटल में चख सकते हैं। मसालेदार तली मछली का यह व्यंजन बनाने के लिए साफ़ पानी की मछली सिंघाड़ा या सोल का उपयोग किया जाता है। इसे पुदीना व धनिया की चटनी के साथ परोसें, सर्दियों की शाम को खाने वाला यह उपयुक्त नाश्ता है। स्थानीय भाषा में यह पकवान अमृतसरी मच्छी कहलाता है। 

आरंभिक दौर में निर्धन लोग, जो नदियों के किनारे पर रहा करते थे, वे प्रचुर मात्रा में मछली पकाते थे क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध होती थीं। शीघ्र ही मछली से बने व्यंजनों ने मुग़लई पकवानों में अपना विशेष स्थान बना लिया, जहां मसालों के उपयोग तथा पकाने की विभिन्न तकनीकों द्वारा इनमें नवाचारों को जोड़ा गया था।  

अमृतसरी मछली

भुना गोश्त

स्वाद से भरपूर इस मटन कढ़ी को बनाने के लिए कई मसालों व दही का उपयोग किया जाता है। इसे काफ़ी देर तक इसलिए पकाया जाता है ताकि मांस स्वादिष्ट बन सके। एशिया में खाना पकाने की प्रक्रिया में ‘भुना’ शब्द का अर्थ होता है कि कढ़ी को तबतक पकाया जाए जबतक कि यह सिकुड़कर गाढ़ी न हो जाए। इस तरीके से गोश्त पर कढ़ी की परत आसानी से चढ़ जाती है जो देखने में भूरे रंग की होती है। इसे ज़ीरा चावलों के साथ परोसें, दोपहर या रात को खाने के लिए यह बेहतरीन विकल्प है।

भुना गोश्त

बटर चिकन

इसे मुर्ग मक्खनी भी कहते हैं। इस प्रसिद्ध व्यंजन को बनाने में टमाटर की चटनी, मसालों एवं मेथी की सूखी पत्तियां का उपयोग किया जाता है। मक्खन या ताज़ी क्रीम के साथ चुटकी भर चीनी इस व्यंजन का प्रभावी एवं संतुलित स्वाद प्रदान करते हैं। इस कढ़ी का भरपूर आनंद लेने के लिए इसे बटर या लहसुन नान (पारंपरिक भारतीय रोटी) के साथ खाएं। ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली के दरियागंज स्थित मोती महल रेस्तां में इस व्यंजन की उत्पत्ति हुई थी। इसके पीछे की कहानी यह है कि 1950 में तंदूरी चिकन खाने के शौकीन लोगों में यह रेस्तरां बेहद लोकप्रिय था। इस रेस्तरां के खानसामों की आदत थी कि वे बचे-खुचे चिकन को स्वादिष्ट बनाए रखने के लिए उसे मक्खन और टमाटर की तरी में भिगो दिया करते थे। एक बार, उन्होंने मेहमानों को बेहद गाढ़ी तरी में चिकन के टुकडे़ डालकर परोसे। बस, तभी से बटर चिकन की उत्पत्ति हुई और जिसने दुनिया भर में लोगों के मुंह में पानी ला दिया। यह लाल टमाटरों की गाढ़ी क्रीमी तरी से बनता है, जो हल्की-सी मीठी होती है। यह व्यंजन मुंह में जाकर लगभग घुल जाता है। यह तरी चिकन के टुकड़ां से समाकर उन्हें रसीला व मुलायम बना देती है।    

बटर चिकन

वड़ियां

अमृतसर के पुराने बाज़ार मसाले, पापड़ और वड़ियां बेचने वाली दुकानों से भरे पड़े हैं। वड़ियां दाल से बने छोटे टुकड़े होते हैं। इन दालों को पीसकर उनकी लेई बनाई जाती है। उनमें मसाले मिलाए जाते हैं, उसके बाद उन्हें धूप में सुखाते हैं। स्वाद का चटखारा लेने के लिए उन्हें कढ़ी में डालकर खाएं!      

सरसों का साग

सर्दियों के दिनों में गर्मी पहुंचाने के लिए, अमृतसर की महिलाएं सेहत व स्वाद के उपयुक्त मिश्रण वाले अनेक व्यंजन बनाती हैं। सरसों दा साग उन व्यंजनों में से एक है जिसे बनाने के लिए सरसों की पत्तियों का उपयोग किया जाता है। इसमें पालक, हरी मिर्चे एवं मसाले डालते हैं। पर्याप्त मात्रा में मक्खन इसके स्वाद को और बढ़ा देता है। इसे मक्के दी रोटी के साथ परोसते हैं।

सरसों का साग

शाही पनीर

मुलायम पनीर के टुकड़े काटकर उन्हें गाढ़ी तरी में पकाया जाता है। इस स्वादिष्ट तरी को बनाने के लिए टमाटर, क्रीम एवं मसालों का उपयोग किया जाता है। इसे नान अथवा तंदूरी रोटी के साथ खाते हैं।

शाही पनीर