'चंद्र शेखर आज़ाद पार्क', वर्ष 1870 में बनाया गया था। यह 133-एकड़ का हरा-भरा परिसर है। कहा जाता है कि एडिनबर्ग के ड्यूक 'प्रिंस अल्फ्रेड' की प्रयागराज की यात्रा की निशानी के तौर पर इसे बनाया गया था। इसलिए इसे 'अल्फ्रेड पार्क' भी कहा जाता है। अंग्रेजों के शासनकाल में इसे 'कंपनी बाग' के नाम से जाना गया। लेकिन बाद में इसका नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद के नाम पर 'चंद्रशेखर आजाद पार्क' रखा गया। उन्होंने वर्ष 1931 में यहां अंग्रेज अधिकारियों के खिलाफ लड़ाई-लड़ते खुद को गोली मार ली थी। कोल्ट रिवॉल्वर, जिससे इस क्रांतिकारी ने खुद को गोली मारी थी, पार्क परिसर के अंदर स्थित इलाहाबाद संग्रहालय में रखी गई है। आज़ाद की एक भव्य प्रतिमा इस हरित क्षेत्र के मुख्य आकर्षण में से एक है। यह पार्क परिसर में बच्चों के लिए मनोरंजक क्षेत्र, एक संगीतमय फौव्वारा, इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी (जिसे थॉर्नहिल मेयेन मेमोरियल भी कहा जाता है), प्रयाग संगीत समिति (संगीत के लिए समर्पित एक संस्थान) और मदन मोहन मालवीय स्टेडियम मौजूद है।

अन्य आकर्षण