प्रयागराज शहर तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन बिंदु है, जिसे संगम कहा जाता है। कभी इलाहाबाद के नाम से जाने जाना वाला उत्तर प्रदेश का यह शहर, हिंदुओं का एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। कुंभ मेले का आयोजन जिन चार पवित्र शहरों में होता है, प्रयागराज उनमें से एक है। कुंभ संभवतः दुनिया का सबसे विशाल लोगों का धर्मिक समागम है। प्रयागराज दुनिया भर से श्रद्धालुओं, साधुओं, पर्यटकों और फोटोग्राफरों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हर 12 साल में संगम पर आयोजित होने वाले महाकुंभ और हर छह साल में होने वाले अर्द्धकुंभ में लाखों लोग प्रयागराज आते हैं।

हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने प्रकृष्ट यज्ञ (अग्नि अनुष्ठान) करने के लिए यहां की भूमि को चुना था। इसके लिए उन्होंने उस स्थान को चुना जहां तीन पवित्र नदियाें गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। यज्ञ के बाद, देवताओं के आशीर्वाद से इस शहर का नाम तीर्थराज या प्रयाग रखा गया।

भारत की आजादी की लड़ाई में प्रयागराज की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। विरासत के तौर पर स्वराज भवन और आनंद भवन जैसी दो विशाल इमारतें आज भी इस शहर की शोभा बढ़ा रही हैं। यह स्थान भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू का आरंभिक निवास स्थान भी था। वर्ष 1920 में, स्वराज भवन महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन के आरंभ का गवाह भी रहा है। ये दोनों इमारतें इस समय संग्रहालय में बदल दी गई हैं, जहां उस युग के इतिहास को संरक्षित किया गया है।