शांत पुष्कर झील के चारों ओर स्थित पुष्कर नाम का शहर रेत के टीलों, झीलों, पहाड़ियों और जंगलों के मध्य एक अद्भुत परिवेश को समेटे हुए है। अध्यात्म में लीन पुष्कर नगर के नाम का शाब्दिक अर्थ है कमल का फूल, और माना जाता है कि यह स्थान भगवान ब्रह्मा का आसन है। अतः, पुष्कर शहर अत्यधिक दुर्लभ स्थानों में से एक है जहाँ भगवान ब्रह्मा का मंदिर है। यह मंदिर एक लाल रंग का भवन है जिसे 14 वीं शताब्दी ईसवी के दौरान बनाया गया था, तथा यहाँ दूर-दूर से भक्त आया करते है। किंवदंती है कि भगवान ब्रह्मा ने एक बार जमीन पर कमल का एक फूल गिराया था, जिससे एक झील का निर्माण हुआ। उस झील का नाम बाद में उन्होंने फूल के नाम पर रखा।

पुष्कर की आत्मा अपनी गलियों में बसी हुई है और यहाँ की पुरातन गलियों, बाजारों और घाटों से गुज़रते हुए आप इस शहर का आनंद ले सकते हैं। पुष्कर मेला मवेशियों, घोड़ों और ऊंटों का एक बहुत बड़ा पशुबाज़ार या नखासा होता है, जो अपने भव्य आयोजन के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह सात दिन का पर्व है जो अक्टूबर और नवंबर के महीनों के दौरान आयोजित होता है। इस मेले की जीवंतता हर साल लगभग 2,00,000 आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित करती है; जिनमें घोड़ों, ऊंटों और भैंसों के विक्रेता व खरीदार शामिल होते हैं। इन आगंतुकों को अपनी और आकर्षित करने के लिए यहाँ हथकरघे के सामान, खाने-पीने की वस्तुएँ, मिठाई, कुल्फी, आइस क्रश, चूड़ियाँ व ऊंट की काठी इत्यादि सामान बेचने के लिए बहुत सी अस्थाई दुकानें स्थापित की जाती हैं।

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