यह संग्रहालय संस्कार केंद्र परिसर के भीतर ही बना हुआ है जिसका डिज़ाइन प्रसिद्ध वास्तुकार ले करबुसिएर ने तैयार किया था। पतंगों का संग्रहालय भारत में पहला तथा विश्व में दूसरा है। इसे बनाने का विचार तब आया जब पतंगों के शौकीन भानुभाई शाह ने अपना संग्रह अहमदाबाद नगर पालिका को सौंप दिया। वर्तमान में नगर पालिका ही इसकी देखरेख कर रही है। भानुभाई शाह ने पिछले पांच दशकों से विभिन्न आकार, प्रकार, रंगों एवं विविध तरह की सामग्री से बनी पतंगें सहेजकर रखी थीं। पतंग काइट म्यूज़ियम के नाम से प्रसिद्ध इस संग्रहालय की विशेषताएं यह हैं कि यहां शीशों के काम वाली, ब्लॉक प्रिंटिंग वाली के साथ-साथ सुंदर रेखाचित्रों एवं चित्रकारी वाली पतंगें प्रदर्शित की गई हैं। इसमें जापानी षट्कोण पतंगें, रोकोकु का भी व्यापक संग्रह रखा गया है, जो 20 फुट ऊंची होती हैं। कुछ पतंगें तो सात दशक पुरानी हैं। यहां आने वाले आगंतुक पतंगों के इतिहास से अवगत होते हैं। उन्हें पता चलता है कि 200 ईसा पूर्व में चीन के हान साम्राज्य के लियू पंग की सेना को भयभीत करने के लिए कैसे ∫वेन त्सांग पतंग उड़ाया करता था।   

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