34 दिशाओं वाली यह मानव निर्मित झील बहुभुज जैसी दिखती है। कांकरिया झील 76 एकड़ में व्याप्त तथा दो किलोमीटर तक फैली हुई है। झील के चारों ओर सीढ़ियां बनी हुई हैं तथा पानी में उतरने के लिए आधा दर्जन जगहां पर ढलान बनी हुई है। इन ढलानों को चौकोर कपोलों से ढक दिया गया है, हर एक कपोल 12 स्तंभों पर टिका हुआ है। झील के मध्य में कृत्रिम टापू बनाया गया है जिसका नाम नागिनवाड़ी रखा गया है। यहां चिड़ियाघर, प्राकृतिक इतिहास का संग्रहालय, खिलौना रेल, बाल वाटिका, ओपन-एयर थियेटर, बैलून सफ़ारी, तीव्रगति की रेल की सवारी जैसी अनेक सुविधाएं उपलब्ध है। अनेक गतिविधियों के चलते यह झील पर्यटकों तथा एक ही जगह पर मनोरंजन के साधन खोजने वालों में तेज़ी से लोकप्रिय होती जा रही है।
यह झील शहर के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित है तथा अहमदाबाद की शहरी आबादी के लिए आनंददायक पल बिताने की प्रतीक है। इसके चारों ओर पैदल चलने के व्यापक रास्ते बने हुए हैं। इस झील का निर्माण 1451 में सुल्तान कुतुबुद्दीन अहमद शाह द्वितीय ने करवाया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस झील में अधिक मात्रा में चूना पत्थर होने के कारण इसका नाम कांकड़िया पड़ा था। एक अन्य कथा के अनुसार, सुल्तान कुतुबुद्दीन अहमद शाह द्वितीय ने संत शाह आलम से कहा कि वह जलकुंड एवं बाग के लिए उपयुक्त जगह का चयन करें। संत ने कुछ छोटे-छोटे कंकड़ इस जगह पर फेंके, जिनसे गड्ढा हो गया और झील बन गई।     

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