चनिया चोली

चनिया चोली जो भारतीय पारंपरिक पोशाक घाघरा चोली (स्कर्ट व दुपट्टा) का एक अनुकूलित संस्करण है, यह अहमदाबाद में बहुत लोकप्रिय है। चनिया चोली में पहनी जाने वाली स्कर्ट घुटनों तक होती है। यह रंगों एवं डिज़ाइनों का आकर्षक संग्रह होती है, जिसमें ओढ़नी एवं अन्य पारंपरिक आभूषणों को इसके सहायक के रूप में जोड़ा जाता है। घाघरा को सजाने के लिए इस पर शीशों का काम किया जाता है या फ़िर चांदी व सोने की ज़री की कढ़ाई की जाती है अथवा गोटे टांके जाते हैं।  

चनिया चोली

मोती का काम

गुजरात मोती के काम का गढ़ रहा है जो मोती भारत कहलाता है। मोती शिल्प में विभिन्न रंगों व प्रकार के मोतियों को एक धागे में पिरोया जाता है। इससे घर को सजाने वाली विविध वस्तुएं तथा आभूषण बनाए जाते हैं। इस पारंपरिक कला की उत्पक्रि सौराष्ट क्षेत्र में हुई जिसका प्रसार अहमदाबाद के साथ-साथ राजकोट, भावनगर, अमरेली एवं जूनागढ़ ज़िलों में हुआ। पंचमहल एवं वडोदरा के आदिवासी शिल्पकार भी मोतियों के पारंपरिक आभूषण बनाते हैं।

मोती का काम

एप्लीक व पैच वर्क

गुजरात के बेहद पुराने शिल्पों में से एक एप्लीक व पैच वर्क में कपड़ों के टुकड़ों को जोड़कर फूलों व पशुओं की आकृतियां बनाई जाती हैं।

 

एप्लीक व पैच वर्क

ब्लॉक प्रिंटिंग

अजरख, माता नी पछेड़ी, बटीक एवं सौदागिरी कुछ ऐसे पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग के प्रकार हैं, जिनके लिए गुजरात प्रसिद्ध है। नवरंगपुरा एवं सिंधी मार्केट जैसे अहमदाबाद के बाज़ार ऐसी दुकानों से भरे पड़े हैं, जिनमें ब्लॉक प्रिंटिंग वाले सलवार सूट, कमीज़ें, कुर्ता, जैकेट, स्कर्ट, साड़ियां, दुपट्टे के अतिरिक्त चादरें, तकियों के गिलाफ़, मेज़पोश, पर्दे इत्यादि मिलते हैं। इन कपड़ों पर लकड़ी के ब्लॉक की मदद से कलात्मक प्रिंट उकेरकर इन कपड़ों को सजाया जाता है। यद्यपि इस प्रक्रिया में बहुत समय तथा अत्याधिक श्रमबल लगता है, बावजूद इसके कोई अन्य तरीके से इतना शानदार परिणाम प्राप्त नहीं किया जा सकता। सामान्य रूप से इस प्रक्रिया में लेलिन, सूती या रेशमी कपड़ों पर ब्लॉक प्रिंटिंग की जाती है। सागौन की लड़की से बने इन ब्लॉक पर विभिन्न प्रकार के रूपांकन उकेरे जाते हैं। सुंदर डिज़ाइन देने के लिए इन ब्लॉक को रंगों में डुबाकर उन्हें कपड़ों पर छापा जाता है। ब्लॉक प्रिंटिंग में केवल प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग किया जाता है।

ब्लॉक प्रिंटिंग