लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस अनोखे मकबरे का निर्माण मुग़ल शासक अकबर की पत्नी मरियम-उज़-ज़मानी बेग़म की स्मृति में करवाया गया था। वह हीरा कुंवारी, हरका बाई अथवा सबसे लोकप्रिय जोधा बाई के नाम से भी जानी जाती हैं। वह मूलरूप से राजपूत राजकुमारी थीं तथा बादशाह अकबर की पहली राजपूत पत्नी थीं। यद्यपि इनसे विवाह करने से पहले इस मुग़ल शासक की अनेक रानियां थीं, फ़िर भी वह मुग़ल सिंहासन के उत्तराधिकारी जहांगीर की मां बनीं। 

जोधा बाई को अकबर तथा उनके पुत्र जहांगीर के शासनकाल में हिंदुस्तान की राजमाता के रूप में भी जाना जाता था। मुग़ल साम्राज्य के इतिहास में 1562 से लेकर 1605 तक वह लंबे समय तक हिंदू महारानी के रूप में रहीं। वह भारत के मध्ययुगीन इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। 

अकबर से उनका विवाह यद्यपि दो-धर्मों के गठबंधन की दृष्टि से एक परिवर्तनशील कदम था, बल्कि अकबर के धार्मिक और सामाजिक सिद्धांतों में क्रमिक बदलाव की शुरुआत भी दर्शाता है जो बाद में नीति बन गया था। जैसा कि वह अपने पति एवं अपने पुत्र के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य की धार्मिक सहिष्णुता की प्रतीक बन गई थीं, साथ ही इस अवधि में उनकी समानतावादी नीतियां को भी अपनाया गया था। उनका मकबरा फतेहपुर सीकरी में है, जो सिकंदरा स्थित अकबर के मकबरे से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका निर्माण सम्राट जहांगीर ने 1623 में करवाया था।

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