चम्बल वन्यजीव अभयारण्य

आगरा के निकट इटावा में चम्बल नदी के किनारे स्थित चम्बल वन्यजीव अभयारण्य एक प्राकृतिक आश्रयस्थली है, जिसमें विविध प्रकार की वनस्पति तथा वन्यजीव मिलते हैं। चम्बल नदी की उत्पत्ति मध्य प्रदेश में विंध्य पर्वत श्रृंखला से होती है जो अंततः इटावा में यमुना नदी में जा मिलती है। जैव विविधता से समृद्ध इस क्षेत्र को 1979 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। कुल 635 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला यह अभयारण्य तीन राज्योंः मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में स्थित है। 

वास्तव में इस अभयारण्य का मुख्य आकर्षण यह है कि यहां पर देश के बेहद ख़तरनाक वन्यजीवों की प्रजाति पाई जाती है। यही वह स्थल है जहां पर आप लुप्तप्रायः घड़ियालों के अलावा गंगा नदी में पाए जाने वाली लुप्तप्रायः डॉलफिन भी देख सकते हैं। 1970 में जब भारत में घड़ियालों की आबादी कम हो रही थी तब इस वन्यजीव की आबादी बढ़ाने की दिशा में चम्बल का मुख्य क्षेत्र के रूप में चयन किया गया था। यहां पर प्रजनन एवं वंश-बढ़ाने संबंधित कार्यक्रम चलाए गए। 

चम्बल वन्यजीव अभयारण्य

महताब बाग

यह सुंदर बाग यमुना नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है तथा नदी के पार बने ताजमहल के बागों की सिधाई में बना हुआ है। 300 वर्गमीटर से भी अधिक क्षेत्रफल में फैला महताब बाग कई पेचीदा खुदाई का स्थल रह चुका है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार यह बाग मुग़ल शासक बाबर द्वारा नदी के किनारे पर बनाए गए श्रृंखलाबद्ध 11 सुंदर बागों की कड़ी में अंतिम बाग था। अंततः यह उपेक्षा व अव्यवस्था का शिकार हो गया था। ताजमहल को यमुना नदी के पार बहती रेत के कटाव से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए इस बाग का पुनः निर्माण किया गया। संगमरमर से बने इस अद्भुत आश्चर्य को देखने तथा तस्वीरें खींचने के लिए अब यह एक रमणीक सुविधाजनक स्थल के रूप में उपलब्ध है। इसके प्रवेश द्वार से दिखने वाला परिदृश्य विशेषरूप से सुंदर लगता है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। 

ऐसा माना जाता है कि यद्यपि इनका निर्माण बाबर ने किया था किंतु शाहजहां ने ही इन्हें सुविधाजनक स्थल के रूप में पहचाना, जहां से ताजमहल को देखा जा सकता था। उसी ने इसका नाम अर्थात् चांदनी में देखने वाला बाग दिया था। यहां स्थित पगडंडियां, फव्वारे, मंडप एवं तालाब इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। यहां पर अनेक फलदार पेड़ लगाए गए थे। ऐसा माना जाता है कि उस समय महताब बाग का निर्माण ताजमहल परिसर के रूप में किया गया था, मानो यह नदी पार परिसर का ही आंगन हो। ऐसी मिथक बातों का उल्लेख मिलता है कि इस बाग में शाहजहां ‘काला ताजमहल’ भी बनवाना चाहता था। माना जाता है कि महताब बाग ही वह स्थान था जहां पर वह अपने लिए काले संगमरमर का मकबरा बनावाना चाहता था, जो ताजमहल की हूबहू झलक होती और उसकी पत्नी के मकबरे के ठीक सामने बनवाया जाता। किंतु औरंगजे़ब ने उसकी इच्छा का दमन कर दिया, जिसने उसे उसकी अंतिम सांस तक कैदखाने में डाल दिया था। 

महताब बाग

ताज नेचर वॉक

हरियाली से परिपूर्ण प्राकृतिक वन क्षेत्र ताजमहल के पूर्वी द्वार से मात्र 500 मीटर दूर स्थित है। ताज नेचर वॉक 70 हेक्टेयर परिक्षेत्र में फैले प्राकृतिक जन्नत में कराई जाती है, जहां से ताजमहल का भव्य अवलोकन होता है। प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के इस कम लोकप्रिय गंतव्य को देखने का यह नायाब तरीका है, जिसमें आपको यमुना नदी के दाएं किनारे पर स्थित हरित पट्टी की सैर कराई जाती है। यह सैर लगभग नौ किलोमीटर क्षेत्र में कराई जाती है, जिसमें देखने लायक अनेक जगहें होती हैं तथा इसमें विविध प्रकार की वनस्पति व वन्यजीव देखने को मिलते हैं। इस दौरान आपको स्थानीय तितलियां एवं पक्षी भी देखने को मिलेंगे जिनमें तोते एवं रामचिरैया भी होते हैं। इस दौरान आपको घास के टीलों, प्राकृतिक दरारों व घाटियां के अलावा प्राकृतिक पहाड़ी क्षेत्र भी देखने को मिलेंगे। इस नेचर वॉक में 46 से अधिक प्रकार के फूल एवं नील गाय, सियार तथा खरगोश देखने को मिलेंगे।

ताज नेचर वॉक

राम बाग

ऐसा माना जाता है कि इस मुग़लकालीन बाग का निर्माण बाबर ने करवाया था तथा बाद में उसके परपौत्र की वधू बेग़म नूरजहां ने इसका जीर्णोद्धार किया था। कहा जाता है कि राम बाग देश में बना सबसे प्राचीन मुग़लकालीन बाग है। मुग़लों में सुंदर बाग बनवाने का उद्देश्य धरती पर जन्नत की छवि उत्पन्न करना था। ऐसी मान्यता है कि राम बाग का वास्तविक नाम आराम बाग था जो इस्लामी परिदृश्य वास्तुकला एवं बनावट का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह ताजमहल से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि यह वही जगह है जहां पर बाबर को अस्थाई रूप से दफ़नाया गया था, बाद में उसके शव को अफ़गानिस्तान के काबुल में दफ़ना दिया गया था।  

इस बाग की बनावट चारबाग पर आधारित नहीं है, जो मुग़लों की विशेषता रही है जिसमें बाग को तालाब एवं पगडंडियों द्वारा चार भाग में बांटा जाता है। अपितु इस बाग की बनावट हश्त-बहिश्त पर आधारित है। इसमें तीन स्तर बने हुए हैंः एक सब्ज़ियों व फूलों के लिए, एक फूलों की क्यारियों के लिए तथा एक में निर्माणकार्य, तालाब एवं बरामदे बने हुए हैं। इस बाग में अनेक फारसी प्रभाव देखने को मिलते हैं तथा इसका निर्माण इस प्रकार से किया गया है कि यमुना नदी के पानी का उचित प्रकार से सदुपयोग किया जा सके। पानी का वितरण व्यापक स्तर पर फव्वारों तथा गर्मियों के मौसम में भी तापमान को ठंडा रखने के लिए किया जाता था। फव्वारे एवं मंडप पानी के मुख्य स्रोत के किनारे पर बने हुए हैं और बाग चाहरदीवारी से घिरा हुआ है। उसके किनारों पर स्तंभों वाले मंडप बने हुए हैं। राम बाग सुबह से शाम तक खुला रहता है।

राम बाग