आगरा से लगभग 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है फ़िरोज़ाबाद, जो ‘भारत की कांच की नगरी’ तथा ‘चूड़ियों की नगरी’ भी कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण तुग़लक शासक फ़िरोज़ शाह तुग़लक ने करवाया था, जिसके नाम पर इस शहर का नाम पड़ा। कांच की चूड़ियों तथा कांच की अन्य वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध फ़िरोज़ाबाद ख़रीदारों के लिए उपयुक्त स्थल है। स्थानीय किस्सों के अनुसार शहर का कांच उद्योग - जो आज भी फलीभूत हो रहा है, कांच की वस्तुओं के भारत आने के पश्चात ही स्थापित हुआ था। उनका स्वामित्व अतिचारियों के हाथ में था। कांच की इन वस्तुओं को एकत्रित करके ‘भैंसा भट्ठी’ में गलाया जाता था, तत्पश्चात उससे चूड़ियां बनाई जाती थीं। इस प्रकार से कारोबार का आरंभ हुआ। सुहाग नगर के नाम से प्रसिद्ध उपनगर, फ़िरोज़ाबाद में सभी प्रकार की चूड़ियों का प्रमुख गढ़ है। ये चूड़ियां सदियों से भारत की विवाहित महिलाओं के आभूषणों का अभिन्न अंग रही हैं। यहां स्थित चूड़ी बाज़ार में आपको विविध प्रकार की बेहतरीन चूड़ियां मिलेंगी, आप यहां केवल कांच की ही नहीं अपितु लाख व धातुओं की चूड़ियां भी ख़रीद सकते हैं, ये सभी सुंदर चूड़ियां दक्ष कारीगरों द्वारा बनाई जाती हैं।      

इस शहर में भगवान बाहुबली का मंदिर भी है। जैन सम्प्रदाय के तीर्थयात्रियों के लिए यह स्थान बहुत महत्व रखता है क्योंकि भगवान बाहुबली जैन धर्म के संस्थापक व प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र थे। जैन साहित्य के अनुसार, भगवान बाहुबली को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। सुहाग नगरी, फ़िरोज़ाबाद में ही पावन ‘जैन नगर’ स्थित है। यहां पर दिवंगत सेठ छदमीलाल द्वारा भगवान बाहुबली की प्रतिमा स्थापित करवाई गई थी। उत्तर भारत में भगवान बाहुबली की यह प्रतिमा अपने आप में सबसे बड़ी है। इसका भार 3,500 टन से भी अधिक है और इसका आयाम 45 गुना 12 फुट है। यह प्रतिमा ग्रेनाइट से बनी हुई है। इस शहर में जैन धर्म एवं उसके इतिहास से संबंधित अन्य स्मारक भी स्थित हैं।

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