मुग़ल शासक अकबर द्वारा 1565 ईस्वीं में बनवाया गया आगरा का किला मुग़ल शासक की शान में बलुआ पत्थर से बना एक शानदार मकबरा है। इसकी 2.5 किलोमीटर लंबी बाड़े की दीवारों के भीतर एक नायाब शाही शहर स्थित है। इसका आकार अर्धचंद्राकार है, जिसकी पूर्वी दीवार के किनारे पर यमुना नदी बहती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दुर्ग का निर्माण अकबर ने आरंभ कराया था किंतु उसके पौत्र शाहजहां ने इसे सम्पन्न कराया। उसने वहां पर संगमरमर के स्मारकों का निर्माण कराया था। इसमें प्रवेश करने के लिए मूल रूप से चार द्वार बनाए गए थे। उनमें से दो को बंद करवा दिया गया और अब केवल एक ही द्वार - अमर सिंह द्वार खुला हुआ है। इसमें प्रवेश करते ही जो सबसे पहले आकर्षित करता है, वह जहांगीर महल ही है। कहा जाता है कि इस महल का निर्माण अकबर ने महिलाओं के रहने के लिए करवाया था जो उसके बेटे के नाम पर रखा गया था। सामान्य रूप से बने इस आकर्षक महल में पत्थर का एक बड़ा सा कटोरा रखा गया है। उस पर फ़ारसी में आयतें लिखी हुई हैं। स्थानीय कथाओं के अनुसार इस कटोरा का उपयोग गुलाब जल रखने के लिए किया जाता था। जहांगीर महल के बराबर में अकबर की पसंददीदा रानी जोधाबाई के लिए महल बनवाया गया था। इसके साथ ख़ास महल बना है, ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण शाहजहां द्वारा किया गया था। इसमें अंगूरी बाग बना था, जो हरा-भरा, शांत आंगन तथा बगीचा था।     

यह किला अपनी योजना, बनावट तथा निर्माण का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस किले में मोती मस्जिद, दीवान-ए-ख़ास एवं दीवान-ए-आम भी स्थित हैं, कभी इसमें मोर की बनावट वाला सिंहासन हुआ करता था। शाहजहां ने जब अपनी राजधानी दिल्ली बना ली तब यह सिंहासन वहां के लाल किले में ले जाया गया था। शाहजहां ने महिलाओं के लिए नगीना मस्जिद नामक एक निजी मस्जिद तथा अपने लिए मीना मस्जिद बनवाई थी।   

मुसम्मन बुर्ज एक अन्य आकर्षक स्मारक है। इस अष्टकोणीय मीनार पर खुली छत बनी हुई है। ऐसा माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां कैद के दौरान मुग़ल शासक शाहजहां ने अंतिम सांस ली थी। वह यहीं से अपने पसंदीदा ताजमहल को निहारा करता था। इसी किले में अन्य मुग़ल शासकों से संबंधित स्मारक भी देखने को मिलेंगे। इनमें ख़ास महल है, जो जहांआरा बेग़म के सम्मान में बनवाया गया था तथा शीश महल प्रमुख हैं, जो उस युग के दौरान सजावटी जल अभियांत्रिकी का बेहतरीन उदाहरण था। ऐसा कहा जाता है कि यह कभी रानियों के सजने-संवरने का स्थान हुआ करता था। इसकी दीवारें असंख्य छोटे-छोटे शीशों से सुसज्जित थीं। 

उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा यहां पर ‘लाइट-साउंड शो’ आयोजित किया जाता है। इसके माध्यम से न केवल इस किले का गौरवपूर्ण अतीत ज्ञात होता है अपितु यह शो देखने में शानदार लगता है। आगरा के किले को ‘लाल किला’ या ‘किला-ए-अकबरी’ भी कहा जाता है। यह किला इस शहर का देखने लायक स्थल है।

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